काली कुन्तल घनी ज़ुल्फ़ें लहराती जायें
घिर घिर आई चेहरे पर काली घटायें
निखरा निखरा रूप सलोना कंचन सा तन
देख तुम्हे चाँद की चाँदनी भी शर्माये
घिर घिर आई चेहरे पर काली घटायें
निखरा निखरा रूप सलोना कंचन सा तन
देख तुम्हे चाँद की चाँदनी भी शर्माये
रेखा जोशी
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