आप को अपना बनाने की तमन्ना की है
आज तो हद से गुज़रने की तमन्ना की है
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खिल गई बगिया बहारें जो चमन में आई
गुल खिलें दिल ने महकने की तमन्ना की है
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दिल हमारे की यहाँ धड़कन लगी है बढ़ने
क्या करें दिल ने मचलने की तमन्ना की है
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देखते ही आपको यह क्या हुआ साजन अब
खुद इधर दिल ने बहकने की तमन्ना की है
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लो शर्म से अब सनम आँखे झुका ली हमने
नैन में अपने बसाने की तमन्ना की है
रेखा जोशी
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