Friday, 3 June 2016

मिलजुल कर अब रहना सीखें प्यारी इक बौछार लिखें

सावन बरसा अब आँगन में, चलती मस्त बयार लिखें 
मिलजुल कर अब रहना सीखें प्यारी इक बौछार लिखें 
....
भीगा  मेरा  तन  मन सारा ,भीगी  मलमल  की चुनरी 
छाये काले बादल नभ पर , बिजुरी अब   उसपार लिखें 
....
झूला झूलें मिल कर सखियाँ ,पेड़ों पर है हरियाली 
तक धिन नाचें मोरा मनुवा ,है चहुँ ओर बहार  लिखें 
.... 
गरजे बदरा धड़के जियरा ,घर आओ सजना मोरे 
बीता जाये सावन साजन ,अँगना अपने प्यार लिखें 
.... 
नैना सूनें राह निहारें ,देखूँ पथ कब से तेरा 
आजा रे  साँवरिया मेरे ,मिल कर नव संसार लिखें 

रेखा जोशी 

No comments:

Post a Comment