Thursday, 9 June 2016

ज़िंदगी बहुत सुन्दर है

सुनहरा  आँचल 
सागर का चूम रहा गगन 
सूरज  के  चमकने  से
चल  रहा जीवन 
पल पल यहॉं
बदल रही समय की धार
समा रहा  सागर में
धीरे  धीरे दिवाकर
है ढल रही सिंदूरी शाम
नव भोर की आस लिये
खूबसूरत है  यह शाम
गर्भ में जिसके समाई
इक सुन्दर प्रभात
देगी दस्तक फिर उषा
चहचहायेंगे पंछी
शीतल पवन के झोंके
गायेंगे मधुर गीत
दिलायेंगे एहसास
ज़िंदगी बहुत सुन्दर है
ज़िंदगी बहुत सुन्दर है

रेखा जोशी  

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