सुनहरा आँचल
सागर का चूम रहा गगन
सूरज के चमकने से
चल रहा जीवन
चल रहा जीवन
पल पल यहॉं
बदल रही समय की धार
समा रहा सागर में
धीरे धीरे दिवाकर
है ढल रही सिंदूरी शाम
नव भोर की आस लिये
खूबसूरत है यह शाम
गर्भ में जिसके समाई
इक सुन्दर प्रभात
देगी दस्तक फिर उषा
चहचहायेंगे पंछी
शीतल पवन के झोंके
गायेंगे मधुर गीत
दिलायेंगे एहसास
ज़िंदगी बहुत सुन्दर है
ज़िंदगी बहुत सुन्दर है
रेखा जोशी
बदल रही समय की धार
समा रहा सागर में
धीरे धीरे दिवाकर
है ढल रही सिंदूरी शाम
नव भोर की आस लिये
खूबसूरत है यह शाम
गर्भ में जिसके समाई
इक सुन्दर प्रभात
देगी दस्तक फिर उषा
चहचहायेंगे पंछी
शीतल पवन के झोंके
गायेंगे मधुर गीत
दिलायेंगे एहसास
ज़िंदगी बहुत सुन्दर है
ज़िंदगी बहुत सुन्दर है
रेखा जोशी
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