पनप पाप रहा
सुलग पुण्य रहा
गगन उगल रहाअभिशाप यहाँ
सींच रहे धरती को
भ्रष्टाचार से जन जन यहाँ
परेशाँ सब यहाँ
है दीमक लगा देश को
खोखला कर रहा
खोखला कर रहा
रेखा जोशी
सुलग पुण्य रहा
गगन उगल रहाअभिशाप यहाँ
सींच रहे धरती को
भ्रष्टाचार से जन जन यहाँ
परेशाँ सब यहाँ
है दीमक लगा देश को
खोखला कर रहा
खोखला कर रहा
रेखा जोशी
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