आसमाँ पर रौशनी थी
चाँद की वह चॉंदनी थी
....
जब झुका था आसमाँ तब
यह ज़मीं भी मचलती थी
.....
याद तेरी जब सताती
मधुर बजती बांसुरी थी
,,,,,,
हमसफर ने हाथ थामा
प्यार की मंज़िल मिली थी
....
तुम चले आओ यहाँ पर
प्यार में बन्दगी थी
.....
रेखा जोशी
चाँद की वह चॉंदनी थी
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जब झुका था आसमाँ तब
यह ज़मीं भी मचलती थी
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याद तेरी जब सताती
मधुर बजती बांसुरी थी
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हमसफर ने हाथ थामा
प्यार की मंज़िल मिली थी
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तुम चले आओ यहाँ पर
प्यार में बन्दगी थी
.....
रेखा जोशी
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