Tuesday, 14 June 2016

आसमाँ पर रौशनी थी

आसमाँ पर रौशनी थी 
चाँद की वह चॉंदनी थी 
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जब झुका था आसमाँ तब 
यह ज़मीं  भी मचलती थी 
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याद तेरी जब सताती 
मधुर बजती बांसुरी थी  
,,,,,,
हमसफर ने हाथ थामा
प्यार की मंज़िल मिली थी
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तुम चले आओ यहाँ  पर
प्यार में  बन्दगी  थी  
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रेखा जोशी

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