चींटियाँ हमें
है देती सन्देश
श्रम ही जीवन
मिलजुल कर
करते चलो काम
सुबह शाम
रुकना नही थकना नही
बढ़ते जाना
निरन्तर
है यही जीवन
है यही जीवन
रेखा जोशी
चींटियाँ हमें
है देती सन्देश
श्रम ही जीवन
मिलजुल कर
करते चलो काम
सुबह शाम
रुकना नही थकना नही
बढ़ते जाना
निरन्तर
है यही जीवन
है यही जीवन
रेखा जोशी
बच्चों की परवरिश
कहते है कि बच्चे मन के सच्चे होते है ,बच्चे ईश्वर का रूप होते है ,सीधे साधे सरल स्वभाव के ,मन में कोई छल कपट नही होता ,वह कच्ची मिट्टी के समान होते हैं। हम उन्हें जैसा बनाना चाहें, बना सकते हैं। उनके अच्छे भविष्य और उन्हें बेहतर इंसान बनाने के लिए सही परवरिश जरूरी है।हर बच्चा अलग होता है। हर बच्चे की परवरिश का तरीका भी अलग अलग होता है।
सबसे पहले हमें अपने घर का माहौल खुशगवार और प्रेम से परिपूर्ण रखना चाहिए ,घर में अगर पति पत्नी के बीच या किसी अन्य सदस्य से कोई मनमुटाव हो तो उसको बच्चों के सामने नहीं लाना चाहिए और न ही कोई झगड़ा करना चाहिए इसका उनके कोमल ह्रदय पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है । कहते है बच्चे वो ही करते है जो उनके माँ बाप करते है,यह माता पिता का कर्तव्य है कि वह अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें,बड़ों का सम्मान करना अनुशासन का महत्व आदि ,यह सब बच्चे अपने घर से ही सीखते हैं।
दूसरी बात ,माता पिता को अपने बच्चों के साथ समय बिताना चाहिए ,उनके साथ खेलना चाहिए ,उनके साथ कठोर नही बल्कि मित्रतापूर्वक व्यवहार करना चाहिए ताकि वह उनके साथ अपने दिल की सारी बातें कर सके और माता पिता भी उन्हें खेल खेल में सही गलत का ज्ञान करवा सकें।
आजकल कम्पीटिशन का ज़माना है ,हर माँ बाप की चाहत है कि हर क्षेत्र में उनका ही बच्चा सबसे आगे रहे ,जिसके कारण बच्चे अक्सर तनावग्रस्त
रहने लगते है और कई बार तो तनाव इतना गहरा जाता है कि बच्चे अवसाद की स्थिति में भी पहुंच जाते है और वह आत्महत्या तक भी कर बैठते है ,इसलिए बच्चों पर पढाई का या किसी अन्य प्रकार का अनावश्यक दबाव नहीं डालना चाहिए ,हाँ उनका मार्गदर्शन अवश्य करना चाहिए लेकिन निर्णय लेने का अधिकार बच्चे को ही देना चाहिए ,अगर मान लो उसने गलत निर्णय ले भी लिया लेकिन वह खुद अपनी गलती से सबक सीख सकेगा ।इससे उसमे निर्णय लेने की क्षमता भी आ जाएगी ।
बच्चे जब किशोरावस्था में में पदार्पण करते है तो का समय माँ बाप की ज़िम्मेदारी और भी बढ़ जाती है,उनमे आये शारीरिक परिवर्तन और उसके मानसिक विकास उन्हें जिन्दगी के कई अनदेखी राहों के रास्ते दिखाने शुरू कर देता है |बच्चों की किशोरावस्था के इस नाज़ुक दौर के चलते अभिभावकों के लिए यह उनके धैर्य एवं समझदारी की परीक्षा की घड़ी है |किशोरों के शरीर में हो रही हार्मोंज़ की उथल पुथल जहां उन्हें व्यस्क के रूप में नवजीवन प्रदान करती है ,वही उनका बचकाना व्यवहार ,उन्हें स्वयं की और माँ बाप की नजर में अजनबी सा बना देता है |माँ बाप से उनका अहम टकराने लगता है ,हर छोटी सी बात पर अपनी प्रतिक्रिया देना ,उनकी आदत में शामिल हो जाता है |किशोरों को इस असमंजस की स्थिति से माँ बाप अपने विवेक और धेर्य से ही बाहर निकालने में मदद कर सकते है ,उनकी हर छोटी बड़ी बात को महत्व दे कर ,उनका मित्रवत व्यवहार अपने लाडले बच्चों को जहां गुमराह होने से बचाते है वहीँ उनमे विश्वास कर के उन्हें एक अच्छा नागरिक बनने में भी सहायता भी कर सकते है '।
रेखा जोशी
हाथ जोड़ कर शीश झुकाये कर प्रभु सिमरन
धरम करम कर चार दिन की चांदनी जीवन
छूट जायेंगे मोह माया के चक्र से फिर
कर जाप प्रभु का बन्दे कट जायेगे बंधन
रेखा जोशी
आँखों ही आँखों से बात कह देते हैं
ख्यालों में अक्सर मुस्कुरा वह देते है
बसे है वोह मेरी धड़कनों में हरदम
जज़्बात हमारे क्यों दर्द असह देते है
रेखा जोशी
दिल विल,प्यार मोहब्बत ,कसमें यह सब दुनियादारी है
कितना भी रोके हम इसको पर चलन इसका जारी है
बीता जाये पल पल जीवन मत करो बर्बाद इसे तुम
जीवन जीना सीखने में ही हमारी समझदारी है
रेखा जोशी
छंद - पदपादाकुलक
16,16 मात्रा के 4 चरण । आदि में 2 तथा अंत में 22
माता तुमसे संसार मेरा
दाती ले लो प्रणाम मेरा
शीश झुकायें दर पर तेरे
झोली भरती दर पर तेरे
,
चाँद निकला अंगना मेरे
आये जो सांवरिया मेरे
शीतल पवन मिले हिचकोले
पीहू आज पपीहा बोले
रेखा जोशी
22. 22. 22. 22. 22. 2
सपने तेरे सोई आँखें मेरी हैं
यादें तेरी रोई आँखें मेरी हैं
जो पाया तुमको पाई सारी दुनिया
चाहत तेरी खोई ऑंखें मेरी है
रेखा जोशी
देख हमको खिलखिलाकर चल दिये
आग सीने में लगा कर चल दिये
,,
रात में वो चाँद छुप कर खो गया
चाँदनी भी वो चुरा कर चल दिये
,,
राह में हमको अकेला छोड़ कर
आसमाँ से तुम गिराकर चल दिये
,,
दिल हमारे को खिलौना जान कर
तोड़ इसको मुस्कुरा कर चल दिये
,,
ज़िन्दगी ने है दिखाये गम हमें
दर्द में हमको डुबा कर चल दिये
रेखा जोशी
दर्द दिल का न कभी प्यार दिखाया हमने
तार टूटा न कभी साज़ बजाया हमने
अधर खामोश रहे सजन हमारे तो क्या
राज़ इक यह ज़िन्दगी से छिपाया हमने
,
मन को भाये कारे कजरारे कजरे की धार
हुआ कसूर हमसे अब तो हमने मान ली हार
मिले हम ऐसे जैसे नदी समाई सागर में
अब किसी को भी नज़र आती नही कोई दरार
रेखा जोशी
चौपाई
राम नाम हृदय में बसाया,कुछ नहीं अब हमे है भाया
राम नाम के गुण सब गायें ,नाम बिना कुछ नहीं सुहाये
...
सीताराम भजो मन प्यारे ,दुखियों के सब कष्ट निवारे
भगवन जिसके ह्रदय समाये ,पीड़ा रोग पास ना आये
,
दीन बंधु सबका रखवाला ,कर कृपा अपनी नंदलाला
एक ही सहारा प्रभु नाम का ,पी ले प्याला राम नाम का
चौपाई
राम नाम हृदय में बसाया
कुछ नहीं अब हमे है भाया
..
राम नाम के गुण सब गायें
नाम बिना कुछ नहीं सुहाये
...
सीताराम भजो मन प्यारे
दुखियों के सब कष्ट निवारे
..
भगवन जिसके ह्रदय समाये
पीड़ा रोग पास ना आये
…
दीन बंधु सबका रखवाला
कर कृपा अपनी नंदलाला
..
एक ही सहारा प्रभु नाम का
पी ले प्याला राम नाम का
....
राम नाम घट घट का वासी
चारो धाम ह्रदय में काशी
..
मन के तार प्रभु से मिला ले
है भक्तों के राम रखवाले
…
दुःख निवारे हरे सब पीड़ा
राखो मन अपने रघुवीरा
.
दे दो प्रभु तुम हमे सहारे
मीत बनो तुम ईश हमारे
रेखा जोशी
आया होली का त्यौहार
भूलें सब गिले करें प्यार
रंगे प्यार में तेरे हम
जीवन अपना लिया सँवार
रेखा जोशी
राह निहारे बांवरे नयन
प्रतीक्षा में हूँ बैठी सजन
पुकारे तुम्हे अँगना अपना
बैठे कहाँ अपने में मगन
,
आया गाता मधुमास सखी
आये ना साजन पास सखी
महकी बगिया झूमे सारे
प्रियतम मिलने की आस सखी
रेखा जोशी
भर पिचकारी कान्हा ने मारी
भीगी चुनरी राधा की सारी
लाल गुलाल से रंग ली राधा
न मारो श्याम अब तो पिचकारी।
रेखा जोशी
आँखों से छलकता तेरे प्यार है
लब से करते फिर कैसे इन्कार है
...
महक प्यार की ढूंढते यहां वहां
अब तो ज़िन्दगी हमसे बेज़ार है
...
आई अंगना धूप खिली खिली सी
हमें तुम्हारा कब से इंतज़ार है
...
खोये रहते तेरी यादों में हम
करेंगे प्यार तुमसे बेशुमार है
....
खूबसूरत नज़ारे तुम्हे पुकारे
बगिया छाई अब फिर से बहार है
रेखा जोशी
जय नारी तेरी महिमा महान
किस विध करूं इसका बखान
.......................................
शिव शक्ति का सुंदर रूप धर
ममता लिए आई वो धरा पर
सब के होंठों पर माँ का नाम
है मिला हमे अमूल्य वरदान
......................................
धरती से गगन तक जा पहुंची
कल्पना की थी वो सुंदर उड़ान
याद रखे गा सदा तुम्हे ये जहाँ
समाया तुझ में वह तेज महान
.......................................
पीठ पे था लाल अपने को बांधा
अंग्रेजों को रण में मार गिराया
मिटी देश पे वो झाँसी की रानी
जोश औ जनूं में वो बनी मर्दानी
.....................................
जय नारी तेरी महिमा महान
किस विध करूं इसका बखान
रेखा जोशी
दिल में प्यार लिये आज आई होली
मस्ती चहुँ और सँग आज लायी होली
,
रंगों में उमंग रंग है उमंगों भरे
लाल, हरे ,नीले, पीले रंग से रंगे
,
लुभा रहें है सब आज हो के बदरंग
ढोल मंजीरा औ बाजे रे मृदंग
,
है बगिया सूनी बिन फूलों के जैसे
अधूरी है होली बिन गाली के वैसे
,
प्यार भरी गाली से ऐसा हुआ कमाल
गाल हुये गोरी के लाल बिन गुलाल
,
गुलाबों का मौसम है बगिया बहार पे
कुहक रही कोयल अंबुआ की डाल पे
,
थिरक रहें आज सभी हर्षौल्लास में
है झूम रहें सब फागुन की बयार में
रेखा जोशी
वक्त की धारा में सदा बहता जीवन
कहीं दुख के सागर में डूबता जीवन
आओ जियें हर ऋतू हर मौसम हम यहाँ
कहीं गागर ख़ुशी से यह भरता जीवन
रेखा जोशी
बस्तों के बोझ तले दबता बचपन
सुबह सुबह मै अपनी नन्ही गुड़िया की ऊँगली थामे अपने घर के बाहर खड़ी उसकी स्कूल बस का इंतज़ार कर रही थी ,तभी बस स्टैंड पर तीन बच्चे अपने भारी भरकम बस्ते अपनी पीठ पर लादे हुए मेरे पास आ कर खड़े हो गये।,उन्हें देख कर कोई भी देख कर बता सकता है कि बस्तों के बोझ से बेचारे नन्हे मुन्नों के कंधे झुके हुए थे ।
बस के स्टैंड पर रुकते ही वह बस पर चढ़ने लगे ,जैसी ही एक बच्ची अपने भारी भरकम बस्ते के पीठ पर टाँगे चढ़ने को हुई,तो भारी से बस्ते ने उसे पीछे को खींचा और वह लड़खड़ा कर गिरने को ही थी कि बस के कंडक्टर ने पीछे से उसके बस्ते को पकड़ कर उसे गिरने से बचा लिया।मै भी अपनी गुड़िया को बस में चढ़ा कर वापिस घर की ओर चल पड़ी ,लेकिन इस घटना में मुझे झकझोर दिया ,नन्ही सी जान पर इतना जुल्म ,सुबह से शाम तक स्कूल,उसके बाद शुरू हो जाता है ट्यूशन जाने का सिलसिला ,फिर होमवर्क और हर सप्ताह टेस्ट ,सारा वक्त पढाईऔर बस पढाई ।
मुझे याद है जब मै छोटी थी,शाम होते ही हम सब बच्चे अपनी गली में इकट्ठे हो जाते ,कभी ,छुप्पन छुप्पाई, कभी रस्सी कूदना ,दौड़ लगाना आदि नाना प्रकार के खेल खेला करते थे ,लेकिन आज बच्चों के पास खेलने का समय ही नही मिल पाता ,कहीं पढाई के बोझ तले वह अपना बचपन तो नही खो रहे ,हमे भी समझना चाहिए की उनके व्यस्त जीवनशैली से कुछ।पल उनके खेलने के लिये भी निकालना चाहिये ,जोकि उनके मानसिक विकास के लिए आवश्यक भी है । हम सब जानते है कि स्वस्थ तन और स्वस्थ मन दोनों ही बच्चों के विकास के लिये आवश्यक है ,पढाई के साथ साथ खेलकूद भी पूर्ण विकास के लिए आवश्यक है ,माना कि ज़िन्दगी में पढ़ाई बहुत जरूरी है ,लेकिन साथ साथ अगर उनके शारीरिक विकास को भी हम उतना ही महत्व दें तो वह अपनी पढ़ाईें भी पूर्ण तन्मयता और दिल लगा कर करेंगे।
रेखा जोशी
प्यार तुमको जिंदगी करना न आया है
जी रहे हम ज़िन्दगी पर कुछ न भाया है
लाख समझाया न माना दिल हमारा यह
ता उमर इस ज़िन्दगी ने बस सताया है
रेखा जोशी
कैसे रखें सजन अब धीर
दी तुमने यह कैसी पीर
घायल किया ह्रदय हमारा
चुभे तेरे शब्दों के तीर
2122. 2122. 2122. 212
आज तुमसे अब हमें कहनी पिया इक बात है
चाँद निकला आसमाँ जागे सजन जज़्बात है
ज़िन्दगी में आप आये मिल गई खुशियाँ हमें
तुम चले आओ यहां साजन सुहानी रात है
रेखा जोशी
ख्वाबों में तेरे सो गई आँखे
तुझको सोचा तो खो गई आँखे
,
पाया जो तुमको जहान पा लिया
सपनो में देखो खो गई आँखे
,
समाया तेरी निगाहों में प्यार
प्यार में पिया लो खो गई आँखे
,
सताती हमे अब यादें तुम्हारी
यादों में अब तो खो गई आँखे
,
बिठाया तुमको पलकों पे हमने
चाहत में अब जो खो गई आँखे
रेखा जोशी
बेवफा को कभी भी अपना हाथ न दें
बेईमान का कभी भी हम साथ न दें
रखें कदम अपना हम सच्चाई के संग
अच्छाई संग बुराई हमें नाथ न दें
रेखा जोशी
है याद मिले तुम हमें पहले पहल चाँदनी रात में
खामोश लब बोले नयन ह्रदय विहल चाँदनी रात में
थामा था हाथ इक दूजे का निभाने के लिये साथ
जगमगा उठा कल्पनाओं का महल चाँदनी रात में
रेखा जोशी