Wednesday, 22 March 2017

है यही जीवन

चींटियाँ हमें
है देती सन्देश
श्रम ही जीवन
मिलजुल कर
करते चलो काम
सुबह शाम
रुकना नही थकना नही
बढ़ते जाना
निरन्तर
है यही जीवन
है यही जीवन

रेखा जोशी

बच्चों की परवरिश

बच्चों की परवरिश

कहते है कि बच्चे मन के सच्चे होते है ,बच्चे ईश्वर का रूप होते है ,सीधे साधे सरल स्वभाव के ,मन में कोई छल कपट नही होता ,वह कच्ची मिट्टी के समान  होते हैं। हम उन्हें जैसा बनाना चाहें, बना सकते हैं। उनके अच्छे भविष्य और उन्हें बेहतर इंसान बनाने के लिए सही परवरिश जरूरी है।हर बच्चा अलग होता है। हर बच्चे की परवरिश का तरीका भी अलग अलग होता है।

सबसे पहले हमें अपने घर का माहौल खुशगवार और प्रेम से परिपूर्ण रखना  चाहिए  ,घर में अगर पति पत्नी के बीच या किसी अन्य सदस्य से कोई मनमुटाव हो तो उसको बच्चों के सामने नहीं लाना चाहिए  और न ही कोई झगड़ा करना चाहिए इसका उनके कोमल ह्रदय पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है । कहते है बच्चे वो ही करते है जो उनके माँ बाप करते है,यह माता पिता का कर्तव्य है कि वह अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें,बड़ों का सम्मान करना अनुशासन का महत्व आदि ,यह सब बच्चे अपने घर से ही सीखते हैं।

दूसरी बात ,माता पिता को अपने बच्चों  के साथ समय बिताना चाहिए ,उनके साथ खेलना चाहिए ,उनके साथ कठोर नही बल्कि मित्रतापूर्वक व्यवहार करना चाहिए ताकि वह उनके साथ अपने दिल की सारी बातें कर सके और माता पिता भी उन्हें खेल खेल में सही गलत का ज्ञान करवा सकें।

आजकल कम्पीटिशन का ज़माना है ,हर माँ बाप की चाहत  है कि हर क्षेत्र में उनका ही बच्चा सबसे आगे रहे ,जिसके कारण बच्चे अक्सर तनावग्रस्त
रहने लगते है और कई बार तो तनाव इतना गहरा जाता है कि बच्चे अवसाद की स्थिति में भी पहुंच जाते है और वह आत्महत्या तक भी कर बैठते है ,इसलिए बच्चों पर पढाई का या किसी अन्य प्रकार का अनावश्यक दबाव नहीं डालना चाहिए ,हाँ उनका मार्गदर्शन अवश्य करना चाहिए लेकिन निर्णय लेने का अधिकार बच्चे को ही देना चाहिए ,अगर मान लो उसने गलत  निर्णय ले भी लिया लेकिन वह खुद अपनी गलती से सबक सीख सकेगा ।इससे उसमे निर्णय लेने की क्षमता भी आ जाएगी ।

बच्चे जब किशोरावस्था में में पदार्पण करते है तो का समय माँ बाप की ज़िम्मेदारी और भी बढ़ जाती है,उनमे आये  शारीरिक परिवर्तन और उसके मानसिक विकास उन्हें जिन्दगी के कई अनदेखी राहों के रास्ते दिखाने शुरू कर देता है  |बच्चों की किशोरावस्था के इस नाज़ुक दौर  के चलते अभिभावकों के लिए यह उनके धैर्य एवं समझदारी की परीक्षा की घड़ी है  |किशोरों के शरीर  में हो रही हार्मोंज़ की  उथल पुथल जहां उन्हें व्यस्क के रूप में नवजीवन प्रदान करती  है ,वही उनका बचकाना व्यवहार ,उन्हें स्वयं की और माँ बाप की नजर में अजनबी सा बना देता है |माँ बाप से उनका अहम टकराने लगता है ,हर छोटी सी बात पर अपनी प्रतिक्रिया देना ,उनकी आदत में शामिल हो जाता है |किशोरों को  इस असमंजस की स्थिति से माँ बाप अपने विवेक और धेर्य से ही बाहर निकालने में मदद कर सकते है ,उनकी हर  छोटी बड़ी बात को महत्व दे कर ,उनका मित्रवत व्यवहार अपने लाडले बच्चों को जहां गुमराह होने से बचाते है वहीँ उनमे विश्वास कर के उन्हें एक अच्छा  नागरिक बनने में भी सहायता भी कर सकते है '।

रेखा जोशी

Tuesday, 21 March 2017

हाथ जोड़ कर शीश झुकाये कर प्रभु सिमरन
धरम   करम कर  चार दिन की चांदनी जीवन
छूट  जायेंगे   मोह    माया   के  चक्र  से फिर
कर  जाप   प्रभु  का  बन्दे  कट  जायेगे बंधन

रेखा जोशी 

आँखों ही आँखों से बात कह देते हैं
ख्यालों में अक्सर मुस्कुरा वह देते है
बसे है  वोह  मेरी धड़कनों में हरदम
जज़्बात हमारे क्यों दर्द असह देते है

रेखा जोशी

Monday, 20 March 2017

बीता जाये पल पल जीवन

दिल विल,प्यार मोहब्बत ,कसमें यह सब दुनियादारी है
कितना  भी रोके हम इसको पर चलन  इसका जारी है
बीता  जाये  पल  पल जीवन  मत  करो बर्बाद इसे तुम
जीवन   जीना   सीखने में   ही   हमारी  समझदारी  है

रेखा जोशी

छंद - पदपादाकुलक
16,16 मात्रा के 4 चरण । आदि में 2 तथा अंत में 22

माता तुमसे संसार  मेरा
दाती ले लो प्रणाम  मेरा
शीश झुकायें दर पर तेरे
झोली भरती दर  पर तेरे
,
चाँद निकला अंगना मेरे
आये  जो  सांवरिया मेरे
शीतल पवन मिले हिचकोले
पीहू आज  पपीहा बोले

रेखा जोशी

Friday, 17 March 2017

जो पाया तुमको पाई सारी दुनिया

22. 22. 22. 22. 22. 2

सपने तेरे सोई आँखें मेरी हैं
यादें  तेरी रोई  आँखें मेरी हैं
जो पाया तुमको पाई सारी दुनिया
चाहत तेरी खोई ऑंखें मेरी है

रेखा जोशी

Thursday, 16 March 2017

दिल हमारे को खिलौना जान कर


देख हमको खिलखिलाकर चल दिये
आग सीने में लगा कर चल दिये
,,
रात में वो चाँद छुप कर खो गया 
चाँदनी भी वो  चुरा कर चल दिये
,,
राह में हमको अकेला छोड़ कर
आसमाँ  से तुम  गिराकर चल दिये
,,
दिल हमारे को खिलौना जान कर
तोड़ इसको मुस्कुरा कर चल दिये
,,
ज़िन्दगी ने  है दिखाये गम हमें 
दर्द में हमको डुबा कर चल दिये

रेखा जोशी

Wednesday, 15 March 2017

मुक्तक

 
दर्द दिल का न कभी प्यार दिखाया हमने
तार  टूटा  न   कभी  साज़  बजाया  हमने
अधर  खामोश  रहे  सजन हमारे तो  क्या
राज़  इक  यह ज़िन्दगी से छिपाया हमने
,
मन  को  भाये  कारे  कजरारे  कजरे की धार
हुआ  कसूर हमसे अब तो  हमने मान ली हार
मिले   हम   ऐसे   जैसे  नदी   समाई सागर में
अब किसी को भी नज़र आती नही कोई दरार

रेखा जोशी

Tuesday, 14 March 2017

चौपाई
राम नाम हृदय  में बसाया,कुछ नहीं अब हमे है भाया
राम नाम के गुण सब गायें ,नाम बिना कुछ नहीं सुहाये
...
सीताराम भजो मन प्यारे ,दुखियों के सब कष्ट  निवारे
 भगवन जिसके ह्रदय समाये ,पीड़ा रोग पास ना  आये
,
दीन बंधु सबका रखवाला ,कर कृपा अपनी नंदलाला
एक ही सहारा प्रभु  नाम का ,पी ले प्याला राम नाम का

चौपाई

चौपाई
राम नाम हृदय  में बसाया
कुछ नहीं अब हमे है भाया
..
राम नाम के गुण सब गायें 
नाम बिना कुछ नहीं सुहाये
...
सीताराम भजो मन प्यारे 
दुखियों के सब कष्ट  निवारे
..
 भगवन जिसके ह्रदय समाये 
 पीड़ा रोग पास ना  आये

दीन बंधु सबका रखवाला 
कर कृपा अपनी नंदलाला
..
एक ही सहारा प्रभु  नाम का 
पी ले प्याला राम नाम का
....
राम नाम घट घट का वासी 
चारो धाम ह्रदय में काशी
..
मन के तार प्रभु से मिला ले 
है भक्तों के राम रखवाले

दुःख निवारे हरे सब पीड़ा 
राखो  मन अपने रघुवीरा
.
दे दो प्रभु  तुम हमे सहारे 
मीत  बनो तुम ईश  हमारे

रेखा जोशी

आया होली का त्यौहार

आया   होली  का त्यौहार
भूलें  सब  गिले  करें प्यार
रंगे   प्यार   में    तेरे   हम
जीवन अपना लिया सँवार

रेखा जोशी 

Thursday, 9 March 2017

पुकारे तुन्हें अँगना अपना


राह निहारे बांवरे नयन
प्रतीक्षा में हूँ  बैठी सजन
पुकारे तुम्हे अँगना अपना
बैठे कहाँ अपने में मगन
,
आया गाता मधुमास सखी
आये ना साजन पास सखी
महकी बगिया झूमे सारे
प्रियतम मिलने की आस सखी

रेखा जोशी



लाल गुलाल से रंग ली राधा

भर पिचकारी कान्हा ने मारी
भीगी चुनरी  राधा की  सारी
लाल गुलाल से रंग ली राधा
न मारो श्याम अब तो पिचकारी।

रेखा जोशी

बगिया छाई अब फिर से बहार है

आँखों  से छलकता तेरे  प्यार है 
लब से करते फिर कैसे  इन्कार है 
... 
महक प्यार की ढूंढते यहां वहां 
अब तो ज़िन्दगी हमसे बेज़ार है 
... 
आई अंगना धूप  खिली खिली सी
हमें  तुम्हारा  कब  से इंतज़ार  है
...
खोये रहते तेरी यादों में हम
करेंगे प्यार तुमसे बेशुमार है 
....
खूबसूरत नज़ारे तुम्हे पुकारे
बगिया छाई अब  फिर से बहार  है

रेखा जोशी 

Tuesday, 7 March 2017


जय नारी तेरी महिमा महान
किस विध करूं इसका बखान
.......................................
शिव शक्ति का सुंदर रूप धर
ममता लिए आई वो धरा पर
सब के होंठों पर माँ का नाम
है मिला हमे अमूल्य वरदान
......................................
धरती से गगन तक जा पहुंची
कल्पना की थी वो सुंदर उड़ान
याद रखे गा सदा तुम्हे ये जहाँ
समाया तुझ में वह तेज महान
.......................................
पीठ पे था लाल अपने को बांधा
अंग्रेजों को रण में मार गिराया
मिटी देश पे  वो झाँसी की रानी
जोश औ जनूं में वो बनी मर्दानी
.....................................
जय नारी तेरी महिमा महान
किस विध करूं इसका बखान

रेखा जोशी

होली है


दिल में  प्यार  लिये आज आई होली
मस्ती चहुँ और सँग आज लायी होली
,
रंगों  में  उमंग   रंग  है उमंगों भरे 
लाल,  हरे  ,नीले, पीले  रंग  से रंगे
,
लुभा रहें  है  सब आज हो के बदरंग
ढोल   मंजीरा   औ   बाजे    रे  मृदंग
,
है बगिया सूनी   बिन फूलों  के जैसे
अधूरी  है  होली  बिन गाली के वैसे
,
प्यार भरी गाली से ऐसा हुआ कमाल
गाल  हुये गोरी के लाल बिन गुलाल
,
गुलाबों का मौसम है बगिया बहार पे
कुहक रही कोयल अंबुआ की डाल पे
,
थिरक  रहें आज सभी  हर्षौल्लास में
है झूम रहें  सब फागुन की बयार में

रेखा जोशी 

Monday, 6 March 2017

कहीं गागर ख़ुशी से यह भरता जीवन

वक्त  की धारा  में सदा  बहता जीवन
कहीं दुख के सागर  में  डूबता जीवन
आओ जियें हर ऋतू हर मौसम हम यहाँ
कहीं गागर ख़ुशी से यह भरता जीवन

रेखा जोशी

Sunday, 5 March 2017

बस्तों के बोझ तले दबता बचपन

बस्तों के बोझ तले दबता बचपन

सुबह सुबह मै अपनी नन्ही गुड़िया की ऊँगली थामे अपने घर के बाहर खड़ी उसकी स्कूल बस का इंतज़ार कर रही थी ,तभी बस स्टैंड पर तीन बच्चे अपने भारी  भरकम बस्ते अपनी पीठ पर लादे हुए मेरे पास आ कर खड़े हो गये।,उन्हें देख कर कोई भी देख कर बता सकता है कि बस्तों के बोझ से बेचारे नन्हे मुन्नों के कंधे झुके हुए थे ।

बस के स्टैंड पर रुकते ही वह बस पर चढ़ने लगे ,जैसी ही एक बच्ची अपने भारी भरकम बस्ते के पीठ पर  टाँगे चढ़ने को हुई,तो भारी से  बस्ते ने उसे पीछे को खींचा और वह लड़खड़ा कर गिरने को ही थी कि बस के कंडक्टर ने पीछे से उसके बस्ते को पकड़ कर उसे गिरने से बचा लिया।मै  भी अपनी गुड़िया को बस में चढ़ा कर वापिस घर की ओर चल पड़ी ,लेकिन इस घटना में मुझे झकझोर दिया ,नन्ही सी जान पर इतना जुल्म ,सुबह से शाम तक स्कूल,उसके बाद शुरू हो जाता है ट्यूशन जाने का सिलसिला ,फिर होमवर्क और हर सप्ताह टेस्ट ,सारा वक्त पढाईऔर बस पढाई ।

मुझे याद है जब मै छोटी थी,शाम होते ही हम सब बच्चे अपनी गली में इकट्ठे हो जाते ,कभी ,छुप्पन छुप्पाई, कभी रस्सी कूदना ,दौड़ लगाना आदि नाना प्रकार के खेल खेला करते थे ,लेकिन आज बच्चों के पास खेलने का समय ही नही मिल पाता ,कहीं पढाई के बोझ तले वह अपना बचपन तो नही खो रहे ,हमे भी समझना चाहिए की उनके व्यस्त जीवनशैली से कुछ।पल उनके खेलने के लिये भी निकालना चाहिये ,जोकि उनके मानसिक विकास के लिए आवश्यक भी है । हम सब जानते है कि स्वस्थ तन और स्वस्थ मन दोनों ही बच्चों के विकास के लिये आवश्यक है ,पढाई के साथ साथ खेलकूद भी पूर्ण विकास के लिए आवश्यक है ,माना कि ज़िन्दगी में पढ़ाई बहुत जरूरी है ,लेकिन साथ साथ अगर उनके शारीरिक विकास को भी हम उतना ही महत्व दें तो वह अपनी पढ़ाईें भी पूर्ण तन्मयता और दिल लगा कर करेंगे।

रेखा जोशी

Friday, 3 March 2017

लाख समझाया न माना दिल हमारा यह


प्यार तुमको जिंदगी करना न आया है
जी रहे हम ज़िन्दगी पर कुछ न भाया है
लाख समझाया न माना दिल हमारा  यह
ता उमर इस ज़िन्दगी ने बस सताया है

रेखा जोशी

घायल किया ह्रदय हमारा


कैसे रखें सजन अब धीर
दी तुमने यह  कैसी   पीर
घायल किया ह्रदय हमारा
चुभे   तेरे  शब्दों  के तीर

Thursday, 2 March 2017

2122. 2122. 2122. 212

आज तुमसे अब हमें कहनी पिया इक बात है
चाँद निकला आसमाँ जागे सजन जज़्बात है
ज़िन्दगी में आप आये मिल गई खुशियाँ हमें
तुम चले आओ यहां साजन सुहानी रात है

रेखा जोशी

ख्वाबों में तेरे सो गई आँखें

ख्वाबों में तेरे सो गई आँखे
तुझको सोचा तो खो गई आँखे
,
पाया जो तुमको जहान पा लिया
सपनो  में देखो खो गई आँखे
,
समाया  तेरी  निगाहों में प्यार
प्यार में पिया लो खो गई आँखे
,
सताती हमे अब  यादें तुम्हारी
यादों में अब तो खो गई आँखे
,
बिठाया तुमको पलकों पे  हमने
चाहत में अब जो खो गई आँखे

रेखा जोशी

Wednesday, 1 March 2017

रखे कदम अपना हम सच्चाई के संग


बेवफा को कभी भी अपना हाथ न दें
बेईमान  का कभी भी हम   साथ न दें
रखें कदम अपना हम सच्चाई के संग
अच्छाई  संग  बुराई   हमें नाथ  न  दें

रेखा जोशी

जगमगा उठा कल्पनाओं का महल चाँदनी रात में

है याद मिले तुम  हमें पहले पहल चाँदनी रात में
खामोश लब बोले नयन ह्रदय विहल चाँदनी रात में
थामा था हाथ इक दूजे का निभाने के लिये साथ
जगमगा उठा कल्पनाओं का महल चाँदनी रात में

रेखा जोशी