आँखों से छलकता तेरे प्यार है
लब से करते फिर कैसे इन्कार है
...
महक प्यार की ढूंढते यहां वहां
अब तो ज़िन्दगी हमसे बेज़ार है
...
आई अंगना धूप खिली खिली सी
हमें तुम्हारा कब से इंतज़ार है
...
खोये रहते तेरी यादों में हम
करेंगे प्यार तुमसे बेशुमार है
....
खूबसूरत नज़ारे तुम्हे पुकारे
बगिया छाई अब फिर से बहार है
रेखा जोशी
No comments:
Post a Comment