ओ पिया भूल गए
क्यों अपना अंगना
जानें कहाँ
चले गए तुम
रूठ कर हमसे
हुआ जीवन
अब पतझड़ बिन तेरे
जानें कैसी चली हवा
टूट कर डाली से
बिखर गए सभी पत्ते
यहाँ वहाँ
था कभी जो हरा भरा
अपना अंगना
सूना सूना सा लगे अब
बिन तेरे
आ भी जाओ पिया
बन के बहार
जीवन में हमारे
पुकारे तुम्हें हम
बिन तेरे
ओ पिया
लागे न जिया
रेखा जोशी
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