ताल सरोवर तैर रही रंग बिरंगी मीन
इक दूजे संग प्रेम पूर्वक खेलती मीन
कपटी बगुला आँखें मूँदे खड़ा एक टाँग
बैठा धूर्त साधू बना समझ न सकी मीन
,
जब तक तन में प्राण यहां साथ है निभाना
छोड़ कर संसार नहीं लौट कर है आना
रहना सदा प्रेम से दो दिन का जीवन ये
फिर मोह माया के बंधन तोड़ है जाना
रेखा जोशी
No comments:
Post a Comment