मुक्तक 1
पुष्पित उपवन ने ,महकाया है आंगन, अम्बुआ की डार पर,कुहके कोयलिया
है छाई बहार यहाँ,दामन भर ले ख़ुशी,मौसम का है इशारा,साजन तड़पे जिया
मचलती कामनाएँ , ज़मीन से आसमान ,पुकारे अब बहारे, दिल के तार छिड़े
खिला खिला रूप तेरा,ह्रदय मेरा लुभाये,आजा सजन अँगना,जिया धड़के पिया
,
मुक्तक 2
शीतल चली हवाएँ मौसम प्यार का
गीत गाते भँवरे मौसम बहार का
आजा साँवरिया दिल तुमको पुकारे
अरमां मचलते मौसम इंतज़ार का
रेखा जोशी
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