फिर एक दिन ऐसा आयेगा
खुशियाँ घर में बिखरायेगा
,
खुशी से खिल जायेंगे कमल
मेरा सजन मुस्कुरायेगा
,
सज जायेगा फिर सारा जहां
फूल उपवन खिलखिलायेगा
,
अब रोको न तुम उमंगों को
अंबर भी नैन चुरायेगा
,
कागज़ कश्ती का खेल फिर से
बचपन की याद दिलायेगा
रेखा जोशी
No comments:
Post a Comment