टेढ़ी दुनिया टेढ़ी राहें टेढ़ी यहां चाल है
किसको सुनाएँ हाल अपना यहां सब बेहाल है
,
पैसे का वोह रोब दिखाते चलें अकड़ अकड़ कर
बैंकों में धन बहुत लेकिन दिल उनका कंगाल है
,
संत और फकीर मिलते बहुत हैं यहां पग पग पर
भोले भाले लोगों को लूट हुए मालामाल है
,
झूठे फरेबी धोखेबाज़ों से रहना बच के तुम
संभलना यहां बन जाते ये जी का जंजाल है
,
घोटाले यहां पनप रहे जेबें अपनी भर रहे
धूल झोंकें ये आँखों में बुनते रहते जाल है
रेखा जोशी
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