त्रिवेणी
ऋतुराज बसंत ने जादू बिखेरा महकने लगा घर बाहर अंगना
इक झोंका पिया को छू कर आया .
गुलाबी धूप गुलाबी हवाएँ पीली पीली सरसों लहराए
बिन पिया सब सूना सूना
रेखा जोशी
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