क्या भारत में फिर से राम राज्य स्थापित हो पाएगा?
मर्यादा पुरुषोत्तम राम जिसकी गाथा 'रामायण ' भारत के कोने कोने में गाई और सुनी जाती है ,जिसकी हम भारतवासी पूजा करते है ऐसे राजा राम के राज्य की मिसाल भी दी जाती है ,जहां अमीर और गरीब में कोई भेदभाव नही किया जाता था ,जहाँ हर किसी को यथोचित न्याय मिलता था ,उनके राज्य में कोई चोरी डकैती नही हुआ करती थी ,उनके राज्य में प्रजा सुख ,चैन और शांति से रहा करती थी ,ऐसा ही सपना हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इस देश के लिए देखा था ,लेकिन अफ़सोस वह पूरा नही हो पाया ,आज हर कोई पैसे के पीछे भाग रहा है ,चाहे वह नेता हो याँ कोई आम आदमी ,चाहे पैसा सफेद हो याँ काला ,बस अपना घर भरते चले जाओ ,जो गरीब है वह और गरीब होता जा रहा है और जो अमीर है वह और अमीर होते जा रहे है । अमीर और गरीब का फासला दिन प्रतिदिन बढ़ता ही चला जा रहा है ।
रामायण में लिखा गया है कि जब ऋषि विश्वामित्र के आश्रम में असुरों ने उत्पात मचा रखा था तब राजा दशरथ की आज्ञा ऋषि विश्वामित्र दोनों राजकुमारों राम और लक्ष्मण को अपने आश्रम असुरों का नाश करने के लिए ले गए थे ,तब दोनों भाई गुरु के पीछे पीछे अपने रथ और घोड़े पीछे छोड़ते हुए पद यात्रा करते हुए उनके आश्रम गए थे और राक्षसों का संहार कर वहां शांति स्थापित की थी | पद यात्रा का महत्व यह है कि जनसाधारण को करीब से देखना तथा उनकी समस्याओं का समावेश कर राज्य में सुख समृद्धि को स्थापित करना | महात्मा गांघी जी ने भी पदयात्रा करते हुए रास्ते में जन साधारण को सत्याग्रह का सन्देश देते हुए डांडी मार्च किया था । गांधी जी के अनुसार राजा को प्रजा के बीच जा कर उनके दुःख और दर्द को समझना चाहिए। विनोबा भावे जी ने भी अपनी एक पदयात्रा के दौरान भूदान अभियान चलाया था ,जब कुछ जमीदार अपनी जमीन का कुछ हिस्सा उन लोगो को देने के लिए तैयार हो गए थे जिनके पास जमीन नही थी | कहने का तात्पर्य यह है कि महात्मा गाँधी के सपनो के भारत में राम राज्य की स्थापना तभी संभव हो सकती है जब हमारे नेता आम आदमी और गरीब की जिंदगी को करीब से देखे और उनकी समस्याओं को समझे और उन्हें सुलझा सकें ,लेकिन नही ,यहाँ ऐसा नही हो सकता ,हां हमारे नेताओं को जब वोट भुनाने हो तभी जनता जनार्दन की याद आती है ,कभी रुपयों के बलबूते पर तो कभी चेहरे पर झूठ का नकाब ओढे,बड़े बड़े वायदे कर ,जनता की आँखों में धूल झोंक कर कुर्सी से चिपक कर बैठ जाते है , जनता और देश जाए भाड़ में ,उनकी बला से | ऐसे परिवेश में राम राज्य की परिकल्पना करना मात्र एक सुखद स्वप्न के अतिरिक्त कोई मायने नही रखता |
आज आज़ादी के छैयासठ वर्ष बाद भी हमारे देश के हालात दिन प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे है ,हमारी संस्कृति के मूल्य ,संस्कार सब पीछे छूटते जा रहे है ,लोग संवेदनशून्य होते जा रहे है ,औरतों की अस्मिता खतरे में साँसे ले रही है ,हमारे नेता नित नये विवादों के घेरे में उलझ रहे है ,कमरतोड़ महंगाई आम आदमी को रोटी से उपर कुछ सोचने नही दे रही और इस देश का युवावर्ग भ्रमित सा दिशाविहीन हो रहा है .ऐसे में मेरा आव्हान है भारतीय नारी से की वह देश की भावी पीढ़ी में अच्छे संस्कारों को प्रज्ज्वलित करें ,उन्हें सही और गलत का अंतर बताये ,अपने बच्चो में देश भक्ति की भावना को प्रबल करते हुए राम राज्य के सुखद सपने को साकार करने की ओर एक छोटा सा कदम उठाये ,मुझे विशवास है नारी शक्ति ऐसा कर सकती है और निश्चित ही एक दिन ऐसा आयेगा जब भारतीय नारी दुवारा आज का उठाया यह छोटा सा कदम हमारे देश को एक दिन बुलंदियों तक ले जाए गा | |