Monday, 19 August 2013
सावन
सावन की भीगी रातों में ठंडी फुहार रुलाती है
घनघोर घटा संग दामिनी गगन पर रास रचाती है
छुप गया चंदा बदरा संग तारों की बारात लिये
लगा कर अगन शीतल हवायें बिरहन को सताती है
रेखा जोशी
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