मुक्तक
तुम्हारी चाहत लिए हम पल पल मरते रहे
जीने की तमन्ना दिल में लिए तड़पते रहे
दिन का सुकून और रातों की नींदे उड़ गई
अनजान बने तुम्ही इस दिल में धड़कते रहे
................................................ ………
मुक्तक
हिंदू मुसलमां सिख ईसाई रब तू सब का
पुकार रहे तुझे सभी झुका के अपने शीश
हम सबको मिलजुल कर सिखा दो रहना
दया दृष्टि सभी पर रखना हे करूणाधीश
तुम्हारी चाहत लिए हम पल पल मरते रहे
जीने की तमन्ना दिल में लिए तड़पते रहे
दिन का सुकून और रातों की नींदे उड़ गई
अनजान बने तुम्ही इस दिल में धड़कते रहे
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मुक्तक
हिंदू मुसलमां सिख ईसाई रब तू सब का
पुकार रहे तुझे सभी झुका के अपने शीश
हम सबको मिलजुल कर सिखा दो रहना
दया दृष्टि सभी पर रखना हे करूणाधीश
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