Saturday, 27 September 2014

माँ सबसे अनमोल

माँ सबसे अनमोल [ दोहे ]

माँ प्यार का सागर है माँ सबसे अनमोल
सर पर हाथ माँ का है माता की जय बोल 

ममतामयी मूरत माँ  हृदय इसका कोमल 
माँ मेरी  का आशीष  रहता साथ हर पल 

रेखा जोशी 

Friday, 26 September 2014

मन की अभिलाषा

हाइकु

काश हो पूर्ण
मन की अभिलाषा
नहीं सम्पूर्ण
………
नहीं थमती
अभिलाषा अधूरी
इच्छा अनेक
………
तेरी चाहत
हमारी अभिलाषा
तुम्हारा साथ
………
जीवन पथ
अभिलाषा अनेक
पूरी हों सब
………

रेखा जोशी



भूख गरीब बेरोज़गार की कमी नही इस देश में


इज्ज़त लुटती बालाओं की जहाँ देख उसे दिल जले 
परेशान  बहुत  रहे जनता यहाँ देख उसे  दिल जले 
भूख  गरीब  बेरोज़गार  की  कमी  नही इस देश में 
पग पग पनपता भ्रष्टाचार यहाँ देख उसे दिल जले 


रेखा जोशी 

Thursday, 25 September 2014

गीतिका

मात्रा  भार --23
पदान्त ---साथ साथ
समान्त ---अ

जीवन की राहों में ले हाथों में हाथ
साजन मेरे चल रहे हम अब साथ साथ

अधूरे  है हम  तुम बिन सुन साथी  मेरे
आओ जियें जीवन का हर पल साथ साथ

हर्षित हुआ  मन देख  मुस्कुराहट तेरी
खिलखिलाते हम  दोनों अब  साथ साथ

आये कोई मुश्किल कभी जीवन पथ पर
सुलझा लेंगे  दोनों मिल कर  साथ साथ

तुमसे बंधी हूँ मै  साथी यह मान ले
निभायें गे इस बंधन को  हम साथ साथ

छोड़ न जाना तुम कभी राह में अकेले
अब जियेंगे और मरेंगे हम साथ साथ

रेखा जोशी

पथ रहें तेरा निहारे ज़िंदगी भर हम यहाँ


राह  में  तेरी  बिछाये  फूल  सबने अब  सनम 
याद  ने  तेरी  चुभाये  शूल  अपने  अब  सनम 
पथ  रहें   तेरा  निहारे  ज़िंदगी  भर  हम  यहाँ 
माफ़ करना की कभी जो भूल हमने अब सनम 

रेखा जोशी 

Wednesday, 24 September 2014

सभी मित्रों को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें

सभी मित्रों को नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें

जग की महाशक्ति हो तुम माँ अम्बे 
वरदान शक्ति का  दो  तुम माँ अम्बे 
नाम  तेरा  ले  ध्याय  हम  सब  यहाँ 
मेरी  परम  भक्ति  हो तुम माँ अम्बे 

रेखा जोशी 

कर रहे अभिनंदन नील नभ पर पंछी

ओस  की  बूँदों  से  है  नहाया  उपवन
स्वर्णिम उषाकिरणो ने सजाया गगन
कर रहे अभिनंदन नील नभ पर पंछी
भोर  की शीतल  पवन  ने हर्षाया मन

रेखा जोशी 

Monday, 22 September 2014

है बीत गया पतझड़ अब आया है मधुमास


क्यों  बैठे  तुम  मुरझाये   देखा  नही जाता
बहुत हो चुका है  अब  और सहा नही जाता
है बीत गया पतझड़ अब आया है  मधुमास
बीती  बातों  को  याद  कर जिया  नही  जाता

रेखा जोशी 

भोर भई और खिलता चमन रहा

सागर का आँचल चूम गगन रहा 
ढल गई  शाम चलता जीवन रहा 
समय की धारा बदल रही हर पल 
भोर भई और  खिलता चमन रहा

 रेखा जोशी 

क्षणिका

क्षणिका

बंद पलकों में
बस रही तस्वीर तेरी
आ जाओ अब
कब से निहार रहे  
राह तेरी 
बुन रहे सपने सुहाने 
ओ साथी मेरे 
थम गया वक्त 
नही हो रही खत्म 
घड़ियाँ इंतज़ार की 

रेखा जोशी 

प्रेम,करुणा की भावना स्वर्ग बनाये यहाँ

भाव प्यार का मानव को बना देता इंसान
भाव  शून्य  मानव को  बना  देता  हैवान
प्रेम,करुणा  की भावना स्वर्ग बनाये यहाँ
प्रेमभाव ही पत्थर को  बना देता भगवान

रेखा जोशी 

Sunday, 21 September 2014

जहाँ मुस्कुराती है ज़िंदगी

अक्सर मै
देखती हूँ
ख़्वाब
खुली आँखों से
अच्छा लगता
लगा कर सुनहरे पँख
जब आकाश में
उड़ता मेरा मन
छिड़ जाते
जब तार इंद्रधनुष के
और
बज उठता
अनुपम संगीत
थिरकने लगता
मेरा मन
होता सृजन मेरी
कल्पनाओं का
जहाँ
मुस्कुराती है ज़िंदगी

रेखा जोशी 

Saturday, 20 September 2014

सिलसिले प्यार के

तेरी यादें है
दिल के अरमान
हसीन लम्हे
..................
पूरे हो गए
खामोश वादियों में
अरमां मेरे
................
जिंदगी मेरी
है शामे मुहब्बत
सौगात तेरी
..................
खुशनसीब
सिलसिले प्यार के
जो  हुए मेरे
.....................
मासूमियत
पलकों में छुपा है
चेहरा तेरा

रेखा जोशी

प्यार से जीत सबके दिलों को


अगर   चाहते  हो  तुम  सम्मान 
कर  सबका  आदर  दो तुम मान 
प्यार  से  जीत  सबके  दिलों को 
किसी का मत करो तुम अपमान 

रेखा जोशी 

Friday, 19 September 2014

न जाने फिर यह कैसी तड़प है आज दिल में

बेचैन   है  यह   मन   जाने  क्यों  मेरा  ऐसे
यूँ  तो  किसी से  कोई गिला  न शिकवा वैसे 
न जाने फिर यह कैसी तड़प है आज दिल में
लगता  हर पल कहीं  कुछ छूट सा  रहा जैसे 

रेखा जोशी 

इत्तेफ़ाक से

वो लम्हा 
याद है तुम्हे 
इत्तेफ़ाक से 
हम तुम मिले थे जब 
लब थे खामोश 
और 
निगाहों से हुई बाते 
तब से अब तक 
थम गया वक्त वहीँ 
मै और तुम 
बंध गये इक प्यारे से 
रिश्ते में 
सोचती हूँ इत्तेफ़ाकन 
मिलना हमारा 
मात्र था इत्तेफ़ाक़ 
याँ फिर मिलना 
हमारा तुम्हारा 
चल रहा यूँही 
जन्म जन्म से 

रेखा जोशी 

ज़िन्दगी की धूप छाया में

फूल   काँटों  साथ  खिलते  है
सुख कभी दुख साथ मिलते है 
ज़िन्दगी  की  धूप  छाया   में 
हमसफ़र   ही  साथ  चलते  है 

रेखा जोशी 

Thursday, 18 September 2014

मृत्यु के बाद भी है ज़िंदगी

सफर नीर का
पर्वत से सागर तक
याँ फिर
सागर से पर्वत तक
चलता जा रहा
निरंतर
रुकता नही
ज़िंदगी भी रूकती नही
मृत्यु के बाद भी
है ज़िंदगी
बदलता
केवल स्वरूप
उसका

रेखा जोशी

Wednesday, 17 September 2014

ले चल मुझे माझी तू उस पार

मेरा कर  रहा  सजन इंतज़ार
बहती नदिया  की तेज़ है धार
बीच  मझधार डोल  रही नैया 
ले चल मुझे माझी तू उस पार
रेखा जोशी

कर खुद से अपनी पहचान


नारी    तेरी   महिमा   महान
किस विध करूं इसका बखान
.......................................
याद   करो   झाँसी  की  रानी
थी   जोशीली     वो    मर्दानी
बांध   पीठ  पर  अपना  लाल
हुई   राष्ट्र   पर    वो   कुर्बान
…………………………
पहुँची  तुम  भू   से आसमान
कल्पना   की  वो  ऊँची उड़ान
याद   करेगा    तुम्हे    जहान
तुम  में   समाया   तेज महान
…………………………
अबला  नहीं  बलवान हो  तुम
शक्ति  स्वरूप  दुर्गा   हो  तुम
महादेवा   की   शिवा   हो  तुम
कर   खुद  से  अपनी  पहचान
......................................
नारी    तेरी    महिमा    महान
किस  विध करूं इसका बखान

रेखा जोशी



यही तो है ज़िंदगी [हाइकु ]

सत्कार करें
ज़िंदगी में खुशियाँ
प्यार  से रहें
……………
हर्षित मन
है देख  फुलवारी
सुन्दर फूल
……………
उदास मन
मिलती नही ख़ुशी
रहा तलाश
……………
जीवन भर
कहाँ पे भगवन
रहा ढूँढ
………………
हार याँ जीत
यही तो है ज़िंदगी
अपना कर्म

रेखा जोशी

Tuesday, 16 September 2014

छोड़ हमे चले गये दूर सदा सदा के लिये


चले गये जो
कभी न वापिस आने वाले
दे गये  वो
हमारे अपने
एक पीड़ा एक टीस
उम्र भर के लिए
याद आते है वो
हर वक्त हर पल
होता है एहसास
जैसे कहीं वो
है हमारे आस पास
संरक्षित करते हमें
भरते विश्वास  हम में
श्रद्धांजलि उन्हें
अर्पित हम करते
जिनसे बनी हमारी
पहचान
हाथ जोड़ कर
नमन करते उन्हें
जो छोड़ हमे
चले गये  दूर
सदा सदा
के लिये

रेखा जोशी



कण कण में ओम है देख लो मन की नजर से



ढूँढ  रहे   प्रभु  तुम्हे  इन  हसीन  वादियों   में
आती   नजर   छटा    तेरी  पत्ते   बूटियों  में
कण कण में ओम है देख लो मन की नजर से
गूँजती  सदा  उसकी  इन  नीरव  घाटियों  में

रेखा जोशी   

Sunday, 14 September 2014

मिले सदा सम्मान हमारी मातृ भाषा को


हिंदी  भाषा  में  बस  रही  हमारी जान है 
हिंदी  भाषा  नही  यह  हमारी  पहचान है 
मिले सदा सम्मान हमारी मातृ भाषा को 
हमारे  भारत  की आन  बान और शान है 

रेखा जोशी 

Saturday, 13 September 2014

निभा चुके हम यह प्रीत अब क्या गाऊँ मैं

बुझते आशा के दीप अब क्या गाऊँ मै
रूठे है मेरे गीत अब क्या गाऊँ मै
.
सीने में दर्द मेरी भीगी है पलकें
टूटे वीना के तार अब क्या गाऊँ मै
.
अब कैसे मनाऊँ तुम्हे मेरे प्रियतम
रूठे है मेरे मीत अब क्या गाऊँ मैं
.
तेरे प्यार में हमने खाईं है ठोकर
दुनिया की है यह रीत अब क्या गाऊँ मैं
.
बहुत निभायें हमने अब प्यार में वादे
निभा चुके हम यह प्रीत अब क्या गाऊँ मैं

रेखा जोशी

हर तरफ बहारों की महफ़िल सी छा जाती है

तुम्हारी  चाहत  मुझ  में ऐसे  समा जाती है
जैसे महक  फूलों  की  ले कर  हवा  आती है
जब भी आते हो तुम नज़रों के सामने सजन
हर तरफ बहारों की महफ़िल सी छा जाती है

रेखा जोशी 

सभी मित्रजनों को हिन्दी दिवस की ढेर सारी बधाईयां

सभी मित्रजनों को हिन्दी दिवस की ढेर सारी बधाईयां

जान अपनी 
पहचान अपनी 
है हिंदी भाषा 
.................
खाते कसम 
हिंदी दिवस पर 
है अपनाना 
.................
हिंदी हमारी
मिले सम्मान इसे
है मातृ भाषा
.................
शान यह है
भारत हमारे की
राष्ट्र की भाषा
.................
मित्र जनों को
हिंदी दिवस पर
मेरी बधाई


रेखा जोशी 

Friday, 12 September 2014

चौपाई

चौपाई

जय गोपाला  जय सिय राम । तारे सबको प्रभु का नाम ॥ 

घट घट में बसते प्रभु राम  । सुमिरन कर ले उसका नाम ॥ 

रेखा जोशी 

बदल देगी वक्त की मार सब कुछ यहाँ

रंग रूप सुन्दरता सब ढल जाये गा
चार दिन की चांदनी फिर तम छाये गा
बदल देगी वक्त की मार सब कुछ यहाँ
कुछ भी तो नही फिर यहाँ बच पाये गा
रेखा जोशी

Thursday, 11 September 2014

छोड़ तुम तो चले गये तन्हा

मापनी- 2122 1212 22 

हाल दिल का कहा नहीं जाता
दर्द अब यह सहा नहीं जाता
छोड़ तुम तो चले गये तन्हा
बिन तुम्हारे रहा नहीं जाता
.
रेखा जोशी 

Wednesday, 10 September 2014

हाथ जोड़ कर नमन करते आपको

ऐसा   हमारे   मन  में  विश्वास  है
आप   रहते   हमारे  आस  पास  है
हाथ जोड़ कर  नमन करते आपको
आपकी  दुआ  का  हमें  एहसास है

रेखा जोशी


Tuesday, 9 September 2014

मिलेगा सब चाहा जो जीवन में

जीवन में तुम सपने  देखा करो
बुने जो ख़्वाब तुमने  देखा करो
मिलेगा सब चाहा जो जीवन में
यकीन खुद  में अपने देखा करो

रेखा  जोशी 

Monday, 8 September 2014

अगर मन में हो विश्वास फूल राहों में खिलें

चलता चल तू  अकेला साथी मिले  न मिले 
मत  देखना पीछे  तुम राह  कठिन  हो भले 
थक हार कर कहीं बैठ न जाना तुम कभी भी 
अगर मन में हो विश्वास फूल राहों में खिलें 

रेखा जोशी 

कतरा कतरा ज़िंदगी

जी  रहे
कतरा कतरा
ज़िंदगी
न  जाने क्यों
रह जाती चाहतें
अधूरी
करना चाहती
एहसास
पूर्णता का यह
कतरा कतरा
जिंदगी
इससे  पहले
रूठ न जाये
ज़िंदगी कहीं
क्यों न जी लें
हम यह
कतरा कतरा
ज़िंदगी

रेखा जोशी 

Sunday, 7 September 2014

प्रार्थना में असीमित बल है


प्रार्थना  में  असीमित बल  है 
होती नही कभी भी  विफल है 
सौंप कर देख सब उस प्रभु पर 
जीवन सदा सफल ही सफल है 

रेखा जोशी 

कुछ नही बच पायेगा

काटो  पेड़
जंगल जंगल
मत खेलो
कुदरत से खेल
कर देगी अदिति
सर्वनाश जगत का
हो जायेगा
धरा पर
सब कुछ फिर मटियामेल
कुपित हो कर
प्रकृति भी तब
रौद्र रूप दिखलाएगी
बहा ले जायेगी सब कुछ
संग अपने जलधारा में
समा जायेगा
जीवन भी उसमे
कुछ नही  
बच पायेगा शेष
फिर
कुछ नही
बच पायेगा शेष

रेखा जोशी





Saturday, 6 September 2014

कुहुकती कोयलिया पँछी चहके डाल डाल

सुमन पर  भँवरा डोले ,  है  चहुँ  ओर   बहार
छटा   रंगीन   बिखेरे  ,  चलती  मस्त  बयार
कुहुकती   कोयलिया   पँछी  चहके डाल डाल
फूल  खिलते  उपवन में  , महक  उठा संसार

रेखा जोशी

ज़िंदगी तो अब एक मात हो गई है



ना जाने आज क्या बात हो गई है
शाम से  पहले ही  रात  हो  गई है

कब से हमें इंतज़ार था  तुम्हारा
ख़्वाबों में अब मुलाकात हो  गई है

कहने को तो तुम्हे  बहुत कुछ था पर
दिल से  दिल की यहाँ बात हो  गई है

नयन बिछायें हमने राह में तेरी
थक गई  आँखें  अब रात हो गई है

चाहत तेरी ऐसे समाई दिल में
ज़िंदगी तो अब एक मात हो गई है

रेखा जोशी



तरसती अखियाँ देख भोजन की थाली को

खाली पेट जब उठती पीर तुम क्या जानो
भूखे बच्चे नयन में नीर तुम क्या जानो
तरसती अखियाँ देख भोजन की थाली को
है भटक रहा भूखा फकीर तुम क्या जानो
रेखा जोशी

Friday, 5 September 2014

शत शत नमन करती हूँ मै अपने गुरुवर को

शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभकामनायें 

आँखे नम 
थी शोकग्रस्त 
थामा हाथ 
उसने 
प्रज्जवलित किया 
दीप ज्ञान का 
राह दिखाई 
उजाले की 
अर्पित करती हूँ मै
श्रद्धासुमन
अपने गुरुवर को
शत शत नमन  

करती हूँ मै  
अपने गुरुवर को  

रेखा जोशी

नहीं तेरे बिना अब जी सकेंगे हम


बहारें   हो   सनम  मेरे   वहाँ   जायें 
ख़ुशी मिलती रहे  साजन जहाँ जायें 
नहीं  तेरे  बिना  अब  जी सकेंगे हम 
जुदा हो कर बता अब हम कहाँ जायें 

रेखा जोशी 

Wednesday, 3 September 2014

सत्य की किरणे

अन्धकार को प्रकाशित करती
सूरज की किरणे
जगत में उजियारा फैलाती
सूरज की किरणे
ज़िंदगी हमारी तुम्हारी
मन आत्मा को भी
प्रकाशित कर सकती
सत्य की किरणे
पढ़ ली बहुत पुस्तक पोथी
लेकिन ऊर्जा से कर देगी
परिपूर्ण हमें
एक किरण सत्य की
बदल देगी ज़िंदगी
हमारी तुम्हारी
एक किरण सत्य की
रेखा जोशी

जगमगाने लगी यह चाँद सूरज सी दुनिया

ज़मीन पर उतर आये  सितारे मेरे  लिये
बगिया में खिल उठी अब बहारें  मेरे लिये 
जगमगाने लगी यह चाँद सूरज सी दुनिया
लाये  संग  तुम  यह सब नज़ारे मेरे लिये

रेखा जोशी 

Tuesday, 2 September 2014

सुख दुःख में साथ चलता कोई कोई

जीवन  में  दोस्त बनता  कोई कोई
सुख दुःख में साथ चलता कोई कोई
यूं तो  हमे  सफर  में मिलते हज़ारों
पर  दिल के करीब रहता कोई कोई

रेखा जोशी 

Monday, 1 September 2014

इधर उधर इतरा रही फूलों पर तितलियाँ


सुमन पर  भँवरा डोले ,  है  चहुँ  ओर   बहार
छटा   रंगीन   बिखेरे  ,  चलती  मस्त  बयार
इधर उधर  इतरा  रही  फूलों  पर  तितलियाँ
उपवन  में  फूल  खिलते , महक  उठा संसार  

रेखा जोशी 

आपने धोखा दिया या आपको धोखा मिला


जानता है खुदा 
मेरा 
चाहा तुम्हे दिल से 
था तुमने भी किया 
प्यार हमसे 
कसमें भी खाई 
संग संग 
रहने की सदा 
न जाने 
फिर क्यों तुम 
चले गए छोड़ हमें 
अब क्या कहें हम 
जब पूछते है सब 
आपने धोखा दिया 
या
आपको धोखा मिला

रेखा जोशे