काटो पेड़
जंगल जंगल
मत खेलो
कुदरत से खेल
कर देगी अदिति
सर्वनाश जगत का
हो जायेगा
धरा पर
सब कुछ फिर मटियामेल
कुपित हो कर
प्रकृति भी तब
रौद्र रूप दिखलाएगी
बहा ले जायेगी सब कुछ
संग अपने जलधारा में
समा जायेगा
जीवन भी उसमे
फिर
कुछ नही
बच पायेगा शेष
रेखा जोशी
जंगल जंगल
मत खेलो
कुदरत से खेल
कर देगी अदिति
सर्वनाश जगत का
हो जायेगा
धरा पर
सब कुछ फिर मटियामेल
कुपित हो कर
प्रकृति भी तब
रौद्र रूप दिखलाएगी
बहा ले जायेगी सब कुछ
संग अपने जलधारा में
समा जायेगा
जीवन भी उसमे
कुछ नही
बच पायेगा शेषफिर
कुछ नही
बच पायेगा शेष
रेखा जोशी
No comments:
Post a Comment