Friday, 19 September 2014

इत्तेफ़ाक से

वो लम्हा 
याद है तुम्हे 
इत्तेफ़ाक से 
हम तुम मिले थे जब 
लब थे खामोश 
और 
निगाहों से हुई बाते 
तब से अब तक 
थम गया वक्त वहीँ 
मै और तुम 
बंध गये इक प्यारे से 
रिश्ते में 
सोचती हूँ इत्तेफ़ाकन 
मिलना हमारा 
मात्र था इत्तेफ़ाक़ 
याँ फिर मिलना 
हमारा तुम्हारा 
चल रहा यूँही 
जन्म जन्म से 

रेखा जोशी 

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