वो लम्हा
याद है तुम्हे
इत्तेफ़ाक से
हम तुम मिले थे जब
लब थे खामोश
और
निगाहों से हुई बाते
तब से अब तक
थम गया वक्त वहीँ
मै और तुम
बंध गये इक प्यारे से
रिश्ते में
सोचती हूँ इत्तेफ़ाकन
मिलना हमारा
मात्र था इत्तेफ़ाक़
याँ फिर मिलना
हमारा तुम्हारा
चल रहा यूँही
जन्म जन्म से
रेखा जोशी
याद है तुम्हे
इत्तेफ़ाक से
हम तुम मिले थे जब
लब थे खामोश
और
निगाहों से हुई बाते
तब से अब तक
थम गया वक्त वहीँ
मै और तुम
बंध गये इक प्यारे से
रिश्ते में
सोचती हूँ इत्तेफ़ाकन
मिलना हमारा
मात्र था इत्तेफ़ाक़
याँ फिर मिलना
हमारा तुम्हारा
चल रहा यूँही
जन्म जन्म से
रेखा जोशी
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