क्षणिका
बंद पलकों में
बस रही तस्वीर तेरी
आ जाओ अब
कब से निहार रहे
राह तेरी
बंद पलकों में
बस रही तस्वीर तेरी
आ जाओ अब
कब से निहार रहे
राह तेरी
बुन रहे सपने सुहाने
ओ साथी मेरे
थम गया वक्त
नही हो रही खत्म
घड़ियाँ इंतज़ार की
रेखा जोशी
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