कैसे जियें हम तुम्हारे बिन देखे हमे ज़माना
है करते इंतज़ार तेरा पिया घर चले आना
,
सूना सूना अँगना साजन रस्ता निहारे नैना
आँखों से अब बरसे सावन दिल हुआ दिवाना
,
करवटें बदलते रहते हम सारी सारी रातें
पल पल आते हो याद हमें साजन भूल न जाना
,
टूटा बन्धन आस न टूटी खिलेगा यहाँ आंगन
आ जाओ अब मोरे सजना बगिया फिर महकाना
,
लौट आओ प्रिये घर अपने दिल हमारा पुकारे
दुःख में डूब रही ज़िन्दगी ख़ुशी भी संग लाना
रेखा जोशी
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