Monday, 23 January 2017

लौट आओ प्रिये घर अपनेदिल हमारा पुकारे

कैसे जियें हम तुम्हारे बिन देखे हमे ज़माना
है करते इंतज़ार तेरा पिया घर चले आना
,
सूना सूना अँगना साजन रस्ता  निहारे नैना
आँखों से अब  बरसे सावन दिल हुआ दिवाना
,
करवटें बदलते रहते हम  सारी सारी रातें
पल पल आते हो याद हमें साजन भूल न जाना
,
टूटा बन्धन आस न टूटी  खिलेगा यहाँ आंगन
आ जाओ अब मोरे सजना बगिया फिर महकाना
,
लौट आओ प्रिये घर अपने दिल हमारा पुकारे
दुःख में डूब रही ज़िन्दगी ख़ुशी भी  संग लाना

रेखा जोशी

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