देखे भीड़ में हमने बिखरते रिश्ते सिसक रहे जीवन की भाग दौड़ में भाषा प्रेम की कोई नहीं जानता देखे पत्थरों के शहर में टूटते रिश्ते
रेखा जोशी
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