मुक्तक कसम
बहार बन के जीवन में आये हो तुम
प्रीत के गीत संग गुनगुनाये हो तुम
कसम से तुमको प्यार करते बेशुमार
खुशियाँ ज़िन्दगी में बहुत लाये हो तुम
प्यार
हर घड़ी प्यार से चहकने है लगी
ज़िन्दगी तो सजन सँवरने है लगी
छोड़ना साथ मेरा न तुम फिर सजन
आज राहें यहाँ महकने है लगी
रेखा जोशी
No comments:
Post a Comment