Thursday, 26 January 2017

मुक्तक

मुक्तक  कसम

बहार बन के जीवन में आये हो तुम
प्रीत के गीत  संग गुनगुनाये हो तुम
कसम से तुमको प्यार करते बेशुमार
खुशियाँ ज़िन्दगी में बहुत लाये हो तुम

प्यार

हर घड़ी प्यार से चहकने है  लगी
ज़िन्दगी तो सजन सँवरने है लगी
छोड़ना साथ मेरा न तुम फिर सजन
आज   राहें यहाँ  महकने है लगी

रेखा जोशी 

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