Wednesday, 25 January 2017

दास्ताँ यह हमारी अधूरी यहाँ

आधार छंद - वाचिक स्रग्विणी 

वाचिक मापनी - 212 212 212 212 

ज़िन्दगी की कहानी रही अनकही
अब सुनायें किसे यह रही अनसुनी
दास्ताँ    यह  हमारी  अधूरी  यहाँ
है  नहीं  ज़िन्दगी  आज  पूरी यहाँ

रेखा जोशी

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