तुम ही तुम
महक उठती है तमन्नाए दिल की
जब गुजरते हो इन गलियों से तुम
..............................................
खिल उठते है यह तन्हाई के लम्हे
यादों में हमारी जब गुजरते हो तुम
बहारे सकून की छा जाती हर ओर
ख्यालों में हमारे जब आते हो तुम
............................................
खिल उठती है बगिया मेरे दिल की
जब गुनगुनाती मै तुम्हारे वह गीत
सहेज रखी है अब तलक वही यादे
समाये हो जिसमे सिर्फ तुम ही तुम
...............................................
महक उठती है तमन्नाए दिल की
जब गुजरते हो इन गलियों से तुम
अतिसुन्दर प्रस्तुति,आभार.
ReplyDeleteRajendra ji aise hi utsaah bdhate rahiye ,hardik dhnyvaad
ReplyDelete