Sunday, 24 February 2013

भगवददर्शन

                                               '
                                                  'यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत |
                                                अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम् ॥
                                                परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् |
                                                  धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे '॥



श्री कृष्ण भगवान् ने जिस विराट रूप का दर्शन अर्जुन को करवाया था वही दर्शन पा कर श्रद्धावान पाठक आनंद प्राप्त करें गे [लेखक प्रो महेन्द्र जोशी ]

श्री कृष्ण नमो नम:

भगवददर्शन 
[श्री मद भगवदगीता अध्याय 11 का पद्यानुवाद ]

अर्जुन ने कहा 
1 अध्यात्म परम गूढ़ कहा मुझ पर कर दया ,
आप के इस वचन पर मोह मेरा मिट गया । 
2 भूतों का लय उदभव है सुना विस्तार से ,
औ माहात्म्य आप का ,कमलाक्ष आप से । 
3 जैसा कहा आपने ,आप हो हे ईश्वर ,
देखना मे चाहता रूप अव्यय ऐश्वर ।
4 यदि समझो हे प्रभु मै देख सकता हूँ उसे ,
योगेश्वर दिखाओ रूप अव्यय वह मुझे । 

श्री भगवान ने कहा [To be continued]

4 comments:

  1. बेहतरीन प्रस्तुति माँ जी अब जरुरत है प्रभु को आना चाहिए.

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    1. अब जरूरत है प्रभु की ,बिलकुल सही अरुण बेटा,आभार

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  2. बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति,आभार आदरेया.

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    1. आभार राजेंद्र जी

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