Wednesday, 27 February 2013

व्याजोक्ति [लघु कथा ]


आलोक की बहन रीमा के पति के अचानक अपने घर परिवार से दूर पानीपत में हुए निधन के समाचार ने आलोक और उसकी पत्नी आशा को हिला कर रख दिया |दोनों ने जल्दी से समान बांधा ,आशा ने अपने ऐ टी म कार्ड से दस हजार रूपये निकाले और वह दोनों पानीपत के लिए रवाना हो गए ,वहां पहुंचते ही आशा ने वो रूपये आलोक के हाथ में पकड़ाते हुए कहा ,''दीदी अपने घर से बहुत दूर है और इस समय इन्हें पैसे की सख्त जरूरत होगी आप यह उन्हें अपनी ओर से दे दो और मेरा ज़िक्र भी मत करना कहीं उनके आत्मसम्मान को ठेस न पहुंचे''|अपनी बहन के विधवा होने पर अशोक बहुत भावुक हो रहा था ,उसने भरी आँखों से चुपचाप वो रूपये अपनी बहन रीमा के हाथ थमा दिए | देर रात को रीमा अपनी बहनों के साथ एक कमरे में सुख दुःख बाँट रही थी तभी आशा ने उस कमरे के सामने से निकलते हुए उनकी बाते सुन ली, उसकी आँखों से आंसू छलक गए ,जब उसकी नन्द रीमा के शब्द पिघलते सीसे से उसके कानो में पड़े ,वह अपनी बहनों से कह रही थी ,''मेरा भाई तो मुझसे बहुत प्यार करता है , आज मुसीबतकी इस घड़ी में पता नही उसे कैसे पता चल गया कि मुझे पैसे कि जरूरत है ,यह तो मेरी भाभी है जिसने मेरे भाई को मुझ से से दूर कर रखा है |

8 comments:

  1. सच में बहुत बार इस तरह के ख्याल ही संबंधों में खटास पैदा करते हैं .<a href="http://shalinikaushik2.blogspot.com">क्या हैदराबाद आतंकी हमला भारत की पक्षपात भरी नीति का परिणाम है ?नहीं ये ईर्ष्या की कार्यवाही . </a> आप भी जानें हमारे संविधान के अनुसार <a href="http://shalinikaushikadvocate.blogspot.com">कैग [विनोद राय] मुख्य निर्वाचन आयुक्त [टी.एन.शेषन] नहीं हो सकते </a>

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    1. शालिनी जी आपका हार्दिक आभार इतना बढिया कमेन्ट देने पर ,धन्यवाद

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  2. बहुत ही सुन्दर कहानी,आभार.

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    1. राजेन्द्र जी ऐसे ही प्रेरणा देते रहिये ,आभार ,

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  3. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुतिकरण सुन्दर शब्द चयन,आभार है आपका

    आज की मेरी नई रचना जो आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही है


    ये कैसी मोहब्बत है

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    1. हार्दिक धन्यवाद आ दिनेश जी ,आभार ,

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  4. कितने पूर्वाग्रह रहता है इंसान कई रिश्तों में ...
    आँखें खोने वाली कहानी ...

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  5. हार्दिक आभार दिगम्बर जी ,ऐसे ही उत्साह बढाते रहिये ,धन्यवाद ,

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