दिल में यह हसरत थी कि कांधे पे उनके
रख के मै सर ,ढेर सी बाते करूँ ,बाते
जिसे सुन कर वह गायें,गुनगुनायें
बाते जिसे सुन वह हसें ,खिलखिलायें
बाते जिसे सुन प्यार से मुझे सह्लायें
तभी उन्होंने कहना शुरू किया और
मै मदहोश सी उन्हें सुनती रही
वह कहते रहे ,कहते रहे और मै
सुनती रही ,सुनती रही सुनती रही
दिन महीने साल गुजरते गए
अचानक मेरी नींद खुली और मेरी
वह ढेर सी बातें शूल सी चुभने लगी
उमड़ उमड़ कर लब पर मचलने लगी
समय ने दफना दिया जिन्हें सीने में ही
हूक सी उठती अब इक कसक औ तडप भी
लाख कोशिश की होंठो ने भी खुलने की
जुबाँ तक ,वो ढ़ेर सी बाते आते आते थम गयी
होंठ हिले ,लब खुले ,लकिन मुहँ से निकली
सिर्फ इक आह ,हाँ ,सिर्फ इक आह
जिसे सुन कर वह गायें,गुनगुनायें
बाते जिसे सुन वह हसें ,खिलखिलायें
बाते जिसे सुन प्यार से मुझे सह्लायें
तभी उन्होंने कहना शुरू किया और
मै मदहोश सी उन्हें सुनती रही
वह कहते रहे ,कहते रहे और मै
सुनती रही ,सुनती रही सुनती रही
दिन महीने साल गुजरते गए
अचानक मेरी नींद खुली और मेरी
वह ढेर सी बातें शूल सी चुभने लगी
उमड़ उमड़ कर लब पर मचलने लगी
समय ने दफना दिया जिन्हें सीने में ही
हूक सी उठती अब इक कसक औ तडप भी
लाख कोशिश की होंठो ने भी खुलने की
जुबाँ तक ,वो ढ़ेर सी बाते आते आते थम गयी
होंठ हिले ,लब खुले ,लकिन मुहँ से निकली
सिर्फ इक आह ,हाँ ,सिर्फ इक आह
बहुत सुन्दर रेखा जी | बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति | बधाई
ReplyDeleteTamasha-E-Zindagi
Tamashaezindagi FB Page
Rastogi ji apka hardik dhnyvaad ,abhar
ReplyDeleteसमय के बदलाव को लिखा है ...
ReplyDeletedhnyvaad digambr ji
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