Sunday, 10 February 2013

एक नूर से सब जग उपजे

एक नाम ,एक ओमकार ,एक ही ईश्वर और हम सब उस परमपिता की संतान है जिसने हमे इस दुनिया में मनुष्य चोला दे कर भेजा है और धर्म एक जीवन शैली का नाम है ,धर्म के पथ पर जीवन यापन कर हम उस परमपिता परमात्मा को पा सकते है |''|रिलिजियन धर्म  का पर्यायवाची हो ही नही सकता ,जहाँ रिलिजियन में विभिन्न विभिन्न सुमदाय के लोग अपने ही ढंग से ईश्वर की पूजा आराधना करते है ,वहां धर्म जिंदगी जीने के लिए मानव का सही  मार्ग दर्शन कर इस अनमोल जीवन को सार्थक बना देता है |हमारे वेदों में  भी लिखा है ,''मानवता ही परम धर्म है '',और हम सब ईश्वर के बच्चे क्या एक दूसरे के साथ प्रेम से नही रह सकते ?क्यों हम विभिन्न सुमदायों में बंट कर रह गये है ?सोचने का विषय है |

2 comments:

  1. REKHA JEE,SAB KUCHH KALPNIK HAI KISI KO KUCHH NAHI PATA. PARANTU INSANIYAT SE RAHNA HI SARVSHRESHTH DHARM HAI JISE LOG BHOOL CHUKE HAIN, AUR MANDIRO MEN GHANTE BAJAKAR, MASJIDON MEN AJAN DEKAR APNE KO SABSE BADA DHARNIK SAMAJHTE HAIN.APNE VYAVHAR MEN DUNIYA KA GALA KATNE KA IRADA RAKHTE HAIN.

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  2. Satya Sheel ji yhi to baat hae log insaatiyat bhuul chuken hae ,apka hardik dhnyvaad ,abhar

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