Tuesday, 19 January 2016


ओ  उड़ने  वाले  पंछी सुन बोल तेरा क्या नाम रे 

सुन्दर से पँख बिखेरे फुदक रहे सुबह यहाँ  शाम रे
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झूमे पवन मिले हिचकोले  डाली डाली  झूले तुम
मेरी बगिया में आये तुम  मन  मेरे को भाये तुम 
रूप  अनुपम  तुमने  पाया यहां  तेरा क्या काम रे 
ओ उड़ने वाले ……
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मधुर कंठ  तुमने पाया है गीत मधुर तुमने गाया
मधुर रसीले गीत  से  है संगीत जग में बिखराया 
आज़ाद गगन में उड़ने वाले  तेरा कहाँ  धाम रे 
ओ उड़ने वाले ………

रेखा जोशी

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