मेरी एक पुरानी रचना
रात में यह दिल तन्हां डूबा जाता है
मायूसियों के आलम में दम घुटा जाताहै
.. या खुदा मेरी उल्फत को जिंदगी दे दे
गम जुदाई काअब और नही सहा जाता है |
..
..
तडप तडप के गुजारी है हर घड़ी हर पल
मेरी वफा का दिया जल जल के बुझा जाता है |
..
..
इंतजार और अभी,और अभी और अभी
सब्र ए पैमाना अब लब से छुटा जाता है |
.
.
रेखा जोशी
No comments:
Post a Comment