तुम और मै
है दोनों अलग अलग
सम्पूर्ण नही
अस्तित्व हमारा
हर जन्म में
हूँ खोज रही
तुम्हे
हूँ चाहती
पूर्ण होना
दैहिक नही आत्मिक भी
टुकड़ों में नही
पूर्ण होने की
है चाह मेरी
युगों युगों से
हूँ चाहती जीना
और मरना
सर्वस्व हो कर
रेखा जोशी
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