Monday, 18 January 2016

खिल गई बगिया बहारें जो चमन में आई

आप को अपना बनाने की तमन्ना की है
आज तो हद से गुज़रने की तमन्ना की है

खिल गई बगिया बहारें जो चमन में आई
गुल खिलें दिल ने महकने की तमन्ना की है

दिल हमारे की यहाँ धड़कन लगी है बढ़ने
क्या करें दिल ने मचलने की तमन्ना की है

देखते ही आपको यह क्या हुआ साजन अब
खुद इधर दिल ने बहकने की तमन्ना की है

लो शर्म से अब सनम आँखे झुका ली हमने
दिल में तेरे बस जाने  की तमन्ना की है
रेखा जोशी

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