Saturday, 23 January 2016

कच्चे धागे ने बाँधी डोर,देखो टूट न जाये

गीतिका 
जब जीवन में मिलते अपने ,यही रिश्ते नाते हैं  
प्यार से निभाना यहाँ रिश्ते ,दिल से अपनाते हैं 
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ह्रदय से मानों इन्हे अपना ,रिश्तों में भर दो स्नेह 
सुख दुःख में आते  काम ,साथ ये   निभाते हैं  
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बिखर जाता सब कुछ हमारा , ह्रदय जब टूट जाता 
महक मन  की तब सूख जाती,गुल जब मुरझाते हैं  
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अनमोल बहुत हमारे रिश्ते ,मोल नहीं है  कोई 
खो जायें  अगर ज़िंदगी में ,याद बहुत आते हैं 
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कच्चे धागे ने बाँधी डोर,देखो टूट न जाये 
टूटे धागे अगर कहीं फिर, दिल को तड़पाते हैं 
... 
रेखा जोशी 

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