Saturday, 2 July 2016

सावन बरसे झूम के ,भीगे तन मन आज

अम्बर गरज बदरा रहे,मचा  रहे  है शोर

बिजुरी रास रचा रही, घटा धिरी घनघोर 

सावन बरसे झूम के ,भीगे तन मन आज

अँगना झूले पड़ गये ,बगिया   नाचे  मोर 


रेखा जोशी 

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