रंग बिरंगी ज़िंदगी में
आये अनेक रंग
इंद्रधनुषी रंगों से
सजा था जीवन कभी
छलकते थे कभी
अँगना हमारे
प्यार और ख़ुशी के रंग
जिन्हें ऊँगली थाम
सिखाया था चलना कभी
बन गये वही
अब हमारे सहारे
समझा था जिसे कभी
हमने पराया
प्यार से उसी ने हमे
सहलाया
बनी वह लाठी हमारी
जिसे डोली में था हमने
बिठाया
पोंछ कर नैनों से
आँसू
भर दिये जीवन में
फिर से उसने
उम्मीद के रंग
भूला दिये सब गम
आशा के संग
महकाती रही ज़िंदगी
हरदम
रेखा जोशी
आये अनेक रंग
इंद्रधनुषी रंगों से
सजा था जीवन कभी
छलकते थे कभी
अँगना हमारे
प्यार और ख़ुशी के रंग
जिन्हें ऊँगली थाम
सिखाया था चलना कभी
बन गये वही
अब हमारे सहारे
समझा था जिसे कभी
हमने पराया
प्यार से उसी ने हमे
सहलाया
बनी वह लाठी हमारी
जिसे डोली में था हमने
बिठाया
पोंछ कर नैनों से
आँसू
भर दिये जीवन में
फिर से उसने
उम्मीद के रंग
भूला दिये सब गम
आशा के संग
महकाती रही ज़िंदगी
हरदम
रेखा जोशी
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