ज़िंदगी भले ही कुछ दिनों की है मेहमान
नहीं भूले हम आज भी अपनी ये पहचान
मेहनत कर खायेंगे हम खून पसीने की
बूढ़ी हड्डियों में मेरी आज भी है जान
रेखा जोशी
नहीं भूले हम आज भी अपनी ये पहचान
मेहनत कर खायेंगे हम खून पसीने की
बूढ़ी हड्डियों में मेरी आज भी है जान
रेखा जोशी
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