Monday, 10 February 2014

चहकने लगी बुलबुल अब दिल की

आ गई  बहार जो आये हो तुम
चहकने लगी बुलबुल अब दिल की
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फूलों पर भंवरे   लगे मंडराने
लगी शर्माने कलियाँ  गुलशन की
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तरसती  निगाहें तुम्हे देखने को
भूल गये अचानक वो राहें इधर की
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मुद्दते हो चुकी थी देखे हुए उनको
उसी ने खुशियों से मेरी झोली भर दी
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खुशिया ही खुशिया बनी रहे दिल में
महकती रहे बगिया मेरे आंगन की
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आ गई  बहार जो आये हो तुम
चहकने लगी बुलबुल अब दिल की


रेखा जोशी

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