Wednesday, 19 February 2014

जीवन के दिन चार ,है दुनिया एक छलावा

जीवन के  दिन चार ,है  दुनिया एक छलावा
करनी अपनी छुपा ,मत करना तुम दिखावा
जो   जैसा  करे  गा  ,वह   वैसा  ही  भरे  गा
पाये   कर्मो  का   फल , काहे  करे  पछतावा

रेखा जोशी 

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