जाने अब कहाँ नज़ारे चले गए
जीने के सभी सहारे चले गए
दिन तो ढल चूका औ चाँद भी नही
जाने सब कहाँ सितारे चले गए
उठ के जा चुके वे तो कभी के थे
जाने क्यूँ हमीं पुकारे चले गए
शायद वो अभी लहरेँ हो मचलती
जिन को छोड़ हम किनारे चले गए
महेन्द्र जोशी
जीने के सभी सहारे चले गए
दिन तो ढल चूका औ चाँद भी नही
जाने सब कहाँ सितारे चले गए
उठ के जा चुके वे तो कभी के थे
जाने क्यूँ हमीं पुकारे चले गए
शायद वो अभी लहरेँ हो मचलती
जिन को छोड़ हम किनारे चले गए
महेन्द्र जोशी
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