Sunday, 16 February 2014

वह शर्मीला चाँद

सुन्दर
सलोना
नभ पर
बादलों के
झरोखों से
झाँक रहा
वह शर्मीला चाँद

शीतल
चांदनी
मदमस्त पवन
संग संग
मेरे
चल रहा
वह शर्मीला चाँद

लो वह
उतर आया
धरा पर
बन प्रियतम
देख
सामने
हर्षाया मन
खेल रहा
मेरे संग
आँख मिचोली
वह शर्मीला चाँद

पिया मिलन
है चांदनी रात
हाथों में लिये हाथ
ओढ़े आँचल
हया का
खिड़की से
मुस्कुराया
वह शर्मीला चाँद

रेखा जोशी

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