छिपा कर अपनी पलकों में
खूबसूरत नज़ारे
संग संग बादलों के
शीतल पवन के झोंकों से सिहरता
मेरा तन
लौट कर आई मै
माथेरन पर्वत स्थल
से नीचे
छोटी टोय रेलगाड़ी की
छुक छुक ताल पर
चीरती हुई ऊँची नीची पहाड़ियाँ
घने जंगलों से नीचे
उतरती नेरल के
स्टेशन तक
समा गया
यह खूबसूरत सफ़र
मेरी यादों में
सदा सदा के लिए
रेखा जोशी
खूबसूरत नज़ारे
संग संग बादलों के
शीतल पवन के झोंकों से सिहरता
मेरा तन
लौट कर आई मै
माथेरन पर्वत स्थल
से नीचे
छोटी टोय रेलगाड़ी की
छुक छुक ताल पर
चीरती हुई ऊँची नीची पहाड़ियाँ
घने जंगलों से नीचे
उतरती नेरल के
स्टेशन तक
समा गया
यह खूबसूरत सफ़र
मेरी यादों में
सदा सदा के लिए
रेखा जोशी
No comments:
Post a Comment