लाख इलज़ाम हम पर लगा लो तुम मगर
रिश्ता ए मुहब्ब्त को समझ सको तुम गर
कहते सुनते ही बीत न जाये ज़िंदगी
बस इक नज़र प्यार से देखो तुम इधर
रेखा जोशी
रिश्ता ए मुहब्ब्त को समझ सको तुम गर
कहते सुनते ही बीत न जाये ज़िंदगी
बस इक नज़र प्यार से देखो तुम इधर
रेखा जोशी
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