Saturday, 1 February 2014

दूर हो बहुत दूर मुझसे

बहुत 
करीब 
हो तुम मेरे 
फिर भी 
बहुत दूर हो 
क्यों 
नही समझ 
पा रहे 
मेरे अंतस 
की पीड़ा 
क्यों 
नही सुन 
पा रहे 
शोर 
मेरे दिल में 
जो मचल 
रहे है 
मचा रहे 
हलचल 
उन अनकहे 
जज़बातों का 
मौन हूँ मै 
क्यों
नही सुन  
पा रहे 
मेरी 
आँखों की 
भाषा तुम 
क्योंकि 
तुम पास
हो कर भी 
दूर हो 
बहुत दूर 
मुझसे 

रेखा जोशी 

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