बहुत
करीब
हो तुम मेरे
फिर भी
बहुत दूर हो
क्यों
नही समझ
पा रहे
मेरे अंतस
की पीड़ा
क्यों
नही सुन
पा रहे
शोर
मेरे दिल में
जो मचल
रहे है
मचा रहे
हलचल
उन अनकहे
जज़बातों का
मौन हूँ मै
क्यों
नही सुन
पा रहे
मेरी
आँखों की
भाषा तुम
क्योंकि
तुम पास
हो कर भी
दूर हो
बहुत दूर
मुझसे
रेखा जोशी
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