हाइकु
छिड़ी थी जंग
सुर औ असुर में
अमृत पाना
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मोहिनी रूप
सागर का मंथन
किया था छल
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मस्त असुर
देवों के अधर पे
रख दी सुधा
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गरल आया
नीलकंठ शंकर
विश्व बचा
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गरल सुधा
मिलते जीवन में
है यही पाया
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स्वाती अमृत
मिल कर जो पियें
ये सुधा सुधा
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धरो कंठ में
ये गरल गरल
सब के लिए
रेखा जोशी
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