तुम्हारी चाहत लिये हम पल पल मरते रहे
पथ में पलक बिछाये इंतज़ार करते रहे
दिन का सुकून और रातों की नींद उड़ गई
अनजान बने तुम्ही इस दिल में धड़कते रहे
रेखा जोशी
पथ में पलक बिछाये इंतज़ार करते रहे
दिन का सुकून और रातों की नींद उड़ गई
अनजान बने तुम्ही इस दिल में धड़कते रहे
रेखा जोशी
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