बातें तुम्हारी सुबह ओ शाम कर रहा हूँ
मुहब्बत अपनी अब सरेआम कर रहा हूँ
बहुत सह लिया हमने दर्द ए मुहब्बत सजन
ज़िक्र अपनी हसरतों का तमाम कर रहा हूँ
रेखा जोशी
मुहब्बत अपनी अब सरेआम कर रहा हूँ
बहुत सह लिया हमने दर्द ए मुहब्बत सजन
ज़िक्र अपनी हसरतों का तमाम कर रहा हूँ
रेखा जोशी
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