क्षणिका
बिटिया हमारी
अब बड़ी हो गई
कुछ ज़िद्दी
कुछ नकचढ़ी हो गई
मोह लेती
मन को हँसी उसकी
जादू की वह छड़ी ही गई
कदम से कदम
मिला कर मेरे
वह खड़ी हो गई
सपने मेरे उसी के लिये
संवारना उसे
मेरी ज़िंदगी हो गई
बबिता शर्मा
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