गीतिका
तुम मिले खुशियाँ मिली सजदा करें
इश्क समझे तुम नही अब क्या करें
तुम मिले खुशियाँ मिली सजदा करें
इश्क समझे तुम नही अब क्या करें
मिल गये है जब हमें अपने सनम
वह समझ पाये नही अब क्या करें
दी हमे थी चोट जब तुमने बहुत
कर रहे सज़दा वही अब क्या करें
ज़ख्म जो नासूर बन तड़पा रहा
भर नहीं पाया वही अब क्या करें
थे बनाने हम चले किस्मत सनम
राह में छोडा कहीं अब क्या करें
था सहारा प्यार का जोशी सदा
जब न चाहें वो कभी अब क्या करें
रेखा जोशी
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